________________
दोहा १. यद्यपि बाहुबलजी का भरत को मारने का सुनिश्चित परिणाम था पर मोहकर्म पतला होने से तत्काल वहीं संभल गए।
२. यदि मैं भरत को मारूंगा तो जगत् में बदनाम हो जाऊंगा। सब लोग मुझे जम कर धिक्कारेंगे कि इस दुष्ट ने अपने बड़े भाई को मार दिया।
३. हम दोनों एक ही पिता के पुत्र हैं। हम राज्य के लिए लड़ रहे हैं। मैं भरत को मारकर राज्य करूं यह तो बहुत अकार्य है।
___ ४. अंततः तो मुझे शीघ्र संयम भार लेना है। यदि इसे मारकर चारित्र ग्रहण करूंगा तो कुल में अंधेरा हो जाएगा।
५. भरत आज दीप के समान कुल में दीप्त हो रहा है। बाहुबल आगे कैसे-कैसे विचार करता है उसे कान लगाकर सुनो।
ढाळ : १२
१. मैंने राज्य के लिए झगड़ा किया यह तो कर्मों की वक्रता है। यदि मैं भरत की घात करता हूं तो कुल को कलंक लगेगा।
२. यह कोई दूसरा नहीं है। ऋषभदेव का पुत्र ही है। मेरा बड़ा भाई है। पिता स्थानीय है।
३. आज से पूर्व हमारे कुल में इस प्रकार का अनर्थ नहीं हुआ। बड़े भाई की हत्या कर किसी ने राज्य नहीं किया।