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भरत चरित
११. अपनी श्रद्धा मजबूत बनाकर, नवतत्त्वों का निर्णय करो। सारतत्त्व साधुत्व को स्वीकार करो। जिससे शिवरमणी का शीघ्र वरण कर सको।
१२. ऋषभ जिनेन्द्र यों कहते हैं- अब तुम चरित्र ग्रहण करो। उससे अविचल स्थान मोक्ष को प्राप्त करो। वह स्थान शाश्वत समाधि का है।
१३. तुम जिस राज्य के लिए आए हो वह तो नरक का मार्ग है। आज संयम का मार्ग ग्रहण करो। यह मार्ग स्वर्ग और मुक्ति का है।