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दोहा १-३. इस प्रकार अनेक शंख, पडह, भेरी, झल्लरी, मृदंग, मादल, खरमुखी, देवदुंदुभि, निर्घोष आदि अनेक प्रमुख वाद्ययंत्रों के एक साथ बजते हुए रसाल निनाद एवं महान सिद्धि के साथ राजा आडंबरपूर्वक शस्त्रागार में आते हैं।
४-५ चक्ररत्न को देखते ही उसे प्रणाम कर और उसके निकट आकर हाथ में पूंजणी लेकर उसकी प्रमार्जन तथा पूजा कर रहे हैं, इसे एकाग्र होकर सुनें।
ढाळ : ७
चक्ररत्न की पूजा कर रहे हैं। १. सुरभित पानी से चक्र को स्नान करवाया, गीले बावने चंदन से उस पर लेप लगाया।
२. फूलों की गूंथी हुई माला से अर्चा-पूजा कर अत्यंत सुगंधित फूल उस पर चढ़ा रहे हैं।
३. माला और गंध चढ़ाने के बाद वर्ण, चूर्ण, वस्त्र, आभरण आदि चढ़ाकर शीस झुकाकर उसका विनय करते हैं।