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दुहा १. वळे सर्व वाजंत्र वाजता थका, महा मोटी रिध सहीत।
प्रधान वाजंत्र वाजें घणा, समकालें जुगत सहीत।।
२. संख पडह
खरमूही ने
भेरी ने झलरी, मृदंग देव दुदभी, इत्यादिक
मादल विशेख। वाजंत्र अनेक।।
ऊठे
३. निरघोष वाजंत्र वाजता, त्यांरा
इण विध मोटें मंडाण
शबद रसाल। आया आउधसाल।।
सूं,
४. देखत परमाणे चक्ररत्न में, प्रणाम कीयो तिणवार।
हिवें चक्ररत्न तिहां आयनें, पूंजणी लीधी हस्त मजार।।
तिण हिवें
पूंजणी पूजा करें
कर चक्ररत्न में, प्रमार्जे चक्ररत्न। चक्ररत्न री, ते सुणजों एक मन।।
ढाळ : ७ (लय : धर्म आराधीए)
पूजें चक्ररत्न ने ए।। १. सुगंध उदक पांणी करी ए, चक्ररत्न ने करायो सिनांन।
आलो चंदण बावनों ए, तिणरो लेप लगायो राजांन।
२. गुथ्या फूलां री माला करी ए, अरचा पूजा करी राय।
वळे फूल चढावीया ए, गंध घणी त्यां माहि।।
३.
ओर माला गंध चढावीया ए, वर्ण चूर्ण वस्त्र चढाय। पछे आभर्ण चढावीया ए, विनो करे सीस नमाय।।