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दुहा १. भरत नरिंद मेंहलां मझे, पांम्यां केवल ग्यांन। ___ ओर तपसा तो कीधी नही, एक ध्याया निरमल ध्यान।
२. अनंत भावना भावतां, ध्यांया ध्यान में पाया ग्यांन।
कुण कुण परिग्रहों त्यागीयों, ते सुणों सुरत दे कान।।
ढाळ : ६९ (लय : गिरनारी सोरठ कुमर)
भूप भया छों वेंरागी,मगन भया छों वेंरागी।। अनंत भावना भाइ भरतेसर, च्यार कर्म गए भागी। केवल ग्यांन पायों मेंहला में, थे हुआ अतंत वेंरागी रा। भरत जी।।
१.
२. आभरण अलंकार
आपो आप थइनें
उतश्या, मसतक बेठा, तब दीसे
सेती पागी। देही नागी रा।।
३. सांग देखी भरतेसर केरों, केइ राण्या हसवा लागी।
हिवें हासा नी खबर पडेंसी, थें रहिंजो मुझसूं अधीरा।।
४. डाही रमणी सांग देखे दमणी, भोली दोली लागी।
ओपमा अपछर चंद वीजल री, पिण भरत रो गयो मन भागी।।
५. चोरासी लाख हयवर गयवर, छीनूं कोड छे पागी।
लख चोरासी रथ संग्रांमी, पिण ततखिण होय गया त्यागी रा॥
६. च्यार कोड मण नितको सीझें, दस लाख मण लूण लागी।
चोसठ सहंस राजा मुख आगल, पिण सुरत मुगत सूं लागी रा।।