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भरत चरित
३३९ १७. अनेक शंखधर, चक्रधर, मंगलवाचक भी अर्थलुब्ध होकर मधुर वाणी बोल रहे हैं।
१८. अनेक बांसों पर करतब दिखाने वाले, चित्रपट दिखाने वाले भी रास्ते में आ गए।
१९. वे जो-जो शब्द बोल रहे हैं, वे भरतजी के कानों में पड़ रहे हैं। वे इन सबको विडंबना जानकर उनका त्याग कर मोक्ष में जाएंगे।