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भरत चरित
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६. कुछ देवता स्थान-स्थान पर वितान बांधने लगे तो कुछ देवता गोशीर्ष चंदन के आकर्षक छापे लगाने लगे ।
७. कुछ देवता नगरी के भीतर और बाहर रक्त चंदन के छापे लगाने लगे तो कुछ देवता फूलों की वर्षा करने लगे ।
८. कुछ देवता स्वयमेव स्थान-स्थान पर अगर - तगर के धूप का उत्क्षेप करने लगे तो कुछ सुगंध की वर्षा करने लगे ।
९. कुछ देवता अंदर और बाहर स्थान-स्थान पर सोने-चांदी की वर्षा करने लगे तो कुछ देवता रत्नों की वर्षा करने लगे।
१०. कुछ देवता वज्र हीरों की वर्षा करने लगे तो कुछ बारंबार विविध प्रकार के आभरणों की वर्षा करने लगे ।
११. कुछ देवता मंचों पर मंचों की सम्यग् प्रकार से रचना करने लगे। इस प्रकार सभी देवता भरत जी के महोत्सव के कार्य में जुट गए।
१२. घर - घर में रंग- बधावणा और मंगलचार हो रहा है। घर-घर में गीत-गान हो रहा है। मुख-मुख पर जय-जयकार हो रहा है।
१३. घर-घर में विविध प्रकार के महोत्सव शुरू हो गए। घर-घर में खुशियां छा गईं। सबका मन हर्ष से भर गया ।
१४,१५. विनीता नगरी में प्रवेश के अवसर पर तिराहों-चौराहों तथा राजमार्ग पर कुछ धनार्थी, कुछ काम- - भोगार्थी, कुछ लाभार्थी मुंह से गुणगान कर रहे हैं।
१६. ऋद्धि तथा विविध प्रकार की कामनाओं वाले लोग भी वहां एकत्र हो गए।