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दुहा
१. ते अत ही सम , विषम नही, त्यां निधांन रे ऊपरे तांम।
ते निधान नामें रहे , देवता, त्यांरा आवास घणा अभिरांम।।
२. पल्योपम स्थित छे तेहनी, तिहां कीला करें दिन रात।
ते अधिष्टायक , निधान तणा, प्रसिध लोक विख्यात।।
३.
ॲ तों इचर्यकारी निधान छे, चीज अमोलक सार। मोल साटें मिलें नही, तीनोई लोक मझार।।
४. निधान रत्न , केहवा, त्यां माहे रत्नप्रभूत।
समृधि प्रति पूर्ण भरया, विविध प्रकारें घणा अद्भूत।।
५. ते निधान तिहांथी नीकल्या, भाग बळें भरत रे जांण।
देवतां सहीत भरत नरिंद रे, वस हूआ , आण।।
ढाळ : ४९ (लय : कामणगारो कूकडो ए)
___ भाग बडों भरतेस नो रे॥ १. भाग बडो भरतेसनो रे, तिणरें पुन उदें हूआ आण।
तिणरें रिध अचिंती आय मिली रे, सहूकों आंण करें परमाण।
२. षट खंड केरों में अधिपती रे, भरत नरिंद राजांन।
तिणरें भाग बळें आय परगट्या रे, सार भूत नवोइ निधान।।
३. इचर्यकारी छे अति घणा रे, नवोइ निधान अनुप।
त्यांनें खोल जूआ जूआ देखीया रे, जब हरष्यों घणों भूप।।