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भरत चरित
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२७. इस अवसर पर भरतजी और उनकी सारी सेना चर्मरत्न के ऊपर तथा छत्ररत्न के नीचे है। मणिरत्न का प्रकाश हो रहा है।
२८. इस प्रकार सात दिन आराम से व्यतीत हो गए। कोई अंशमात्र भी भूखा नहीं रहा। किसी ने दीनता तथा भय का अनुभव नहीं किया। न किसी ने मन में कष्ट का अनुभव किया।
२९. यह सब प्रताप पुण्य का है। भरतजी इसे भी अनित्य जानते हैं। इन्हें भी त्यागकर शुद्ध संयम का पालन कर मोक्ष में जाएंगे।