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दोहे १. इस प्रकार आपस में चिंतन कर सभी एकमत होकर तत्काल युद्ध करने के लिए तैयार हो गए।
२. उन्होंने अपने शरीर पर यथास्थान शस्त्र बांध लिए। अपने आप में शौर्य अनुभव करते हुए कीर्तिगान करने लगे।
३. वे कीमती आभरण पहने हुए थे। चंदन का लेप कर तथा सुरभिगंध फूलों से सुघड़ रूप से शृंगारित हो गए।
४. मस्तक पर अपना निर्मल तथा प्रमुख प्रतीक चिह्न धारण करते हुए साहंकार शस्त्र थाम लिए।
५. सोचा- इन्हें अपने देश में नहीं आने देंगे। तुरंत दूर भगा देंगे। ऐसा निश्चय कर भरतजी की सेना की अग्रिम पंक्ति के सम्मुख आए।
ढाळ : ३७
१. भरत नरेंद्र की विशाल सेना की अग्रिम पंक्ति को देखकर उनका द्वेष जाग गया ।वे युद्ध करने के लिए उतावले हो गए।
२. अग्रिम पंक्ति से आमने-सामने संग्राम करते हुए तीव्र प्रहार करने लगे। उस अवसर पर बहुत सारे सैनिक हताहत हुए।