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दोहे १. चक्ररत्न के पीछे-पीछे सेना सहित चलते हुए साहसी और धीर भरतजी उत्कृष्ट सिंहनाद करते हुए उन्मग्न नदी के किनारे पर आए।
२. बढ़ईरत्न को बुलाकर भरतजी उन्मग्न नदी के विषय में कहते हैं- शीघ्र जाकर पुल बांधो।
३,४. दीवार के सहारे सैकड़ों रत्नमय खंभे लगाकर उसे ऐसा अकंप बनाओ कि सेना आराम से उस पार उतर जाए। शीघ्रता से सारा काम संपन्न कर मेरी आज्ञा मुझे पत्यर्पित करो।
५. बढ़ईरत्न यह सुन हर्षित हुआ। शीघ्रता से उन्मग्न-निमग्न नदी पर पुल बांधा और आज्ञा प्रत्यर्पित की।
६. भरत नरेंद्र सेना सहित आराम से नदी के पार उतर गए और तामस गुफा के उत्तरी द्वार पर आकर खड़े हो गए।
७. सर-सर की तीव्र ध्वनि करते हुए कपाट अपने आप पीछे हट कर खुल गए। यह पुण्योपलब्धि है।
८. उस काल और उस समय आपात चिलात भीलों के देश में अचानक अनेकों उत्पात खड़े हुए।
९. वहां कैसे-कैसे उत्पात खड़े हुए, उनके बुरे प्रभाव अग्रिम रूप में लक्षित हुए तथा भील किस प्रकार उद्वेग प्राप्त करते हैं और कैसे विचार करते हैं।