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भरत चरित
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१३. तीन बार उच्च शब्दों के साथ प्रहार करने से क्रोंच पक्षी की तरह आवाज करते हुए गुफाद्वार उघड़ गए।
१४. कपाट उघड़ने पर सेनापति ने भरतजी के पास आकर कपाट के उघड़ने की जानकारी दी।
१५. भरतजी यह वचन सुनकर मन में हर्षित हुए और उन्होंने सेनापति का बड़ा सम्मान किया ।
१६. अब भरतजी ने कोडंबिक पुरुषों को बुलाकर उन्हें कहा- पटहस्तीरत्न तथा चतुरंगिनी सेना को सज्ज करो ।
१७. उन्होंने चतुरंगिनी सेना सज्ज कर आज्ञा का प्रत्यर्पण किया तो भरतजी पटहस्ती पर बैठे।
१८. भरतजी इन सबको कठपुतलियों के खेल की तरह विडंबना जानते हैं । इन्हें छोड़ शुद्ध संयम का पालन करेंगे और कर्मों को नष्ट कर मुक्ति में जाएंगे।