________________
भरत चरित
२०१
२. कुछ लोग हाथ में उत्पल कमल लेकर सेनापति के पीछे चले । पूर्वोक्त चक्ररत्न पूजने के लिए चलने का सारा विस्तार यहां जानना चाहिए।
३.
अनेक देशों की दासियां चंदन कलश आदि हाथ में लेकर सेनापति के पीछे चली यह वर्णन-विस्तार भी पूर्वोक्त रूप से जानना चाहिए।
४. सब ऋद्धि-ज्योति से परिवृत्त होकर सेनापति निर्घोष वाद्ययंत्रों को बजाते हुए तामस गुफा के द्वार पर आया ।
५. द्वार को देखकर उसे नमस्कार किया । फिर रोम पूंजणी से कपाट को परिमार्जित किया । पानी की धार से धोया । श्रेष्ठ चंदन के छापे लगाए ।
६. जिस प्रकार पूर्व वर्णन में चक्ररत्न की पूजा की उसी प्रकार कपाटों की पूजा की। आठ मंगलों का विस्तार भी पूर्ववत् जान लेना चाहिए ।
७. कपाट के प्रति नमस्कार करने के बाद वज्रसार दंडरत्न हाथ में लिया। उसके पांच हास हैं।
८. दंडरत्न वैरियों का विनाशक है। सेना के पड़ाव के स्थान का समतलीकरण भी उससे होता है।
९. खाइयां, गुफाएं, विषम पर्वत तथा मार्ग के बीच आने वाले बाधक पत्थरों को भी वह तत्काल सम बना देता है ।
१०. दंडरत्न शुभ, कल्याणकारी, उपद्रव निवारक, मनोकामनापूरक, शांतिकारक तथा श्रीकार है ।
हैं।
११. एक हजार देवता दंडरत्न के अधिष्ठायक, रक्षक तथा महिमा बढ़ाने वाले
१२. सेनापति ने दंडरत्न को हाथ में लिया, सात-आठ पैर पीछे आया और तीन बार कपाटों पर उच्च शब्दों क साथ प्रहार किया।