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दोहा
१. सारी सेना के उस पार उतरने के बाद सेनापतिरत्न वहां के गांव, आकर तथा नगरों के राजाओं को आज्ञा मनवाकर अपने चरणों में झुकाता है।
२. वह अनेक खेड़, मंडप, पट्टण आदि स्थानों के सिंघल, बब्बर आदि सभी देशों में अपनी आज्ञा मनवाता गया।
३. वहां के राजा धन से ऋद्धिमान् हैं। उनके पास विपुल मणि, कनक, रत्न, धन-धान्य आदि अनेक समृद्धियां हैं।
४. सम-विषम सभी स्थानों के राजाओं को नतमस्तक करते हुए, उनसे उपहार लेते हुए अपनी आज्ञा मनवाई।
५. आभरण, आभूषण, रत्न तथा नानाविध वस्त्र, ये चारों प्रकार के बहुमूल्य श्रेष्ठ उपहार हैं।
६. ऐसे बड़े-बड़े कीमती उपहार वे सेनापति के पास लेकर आए। कीमती उपहारों को उसके चरणों में समर्पित कर प्रार्थना करते हैं।
ढाळ : ३२
१. वे हाथ जोड़कर बोलते हैं- आप भले पधारे, आपने हमारे पर कृपा की। हमें सनाथ बना दिया।
२. दोनों हाथों की अंजली सिर पर रखकर, सिर नीचे झुकाकर बड़े-बड़े राजा प्रार्थना करते हैं।