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भिक्षु वाङ्मय-खण्ड-१० १४. उपनों रत्न सुसेण सेनापती, नगरी वनीता मझार रे।
जात में कुल दोइ तिणरा निरमला, तिणसूं सेन्या चालें तिण लार रे।।
१५. एहवों सेन्यापती भरत नरिंद नें, आय ऊपनों छे पुन प्रमाण रे।
तिणनें पिण भरतजी कारमों जांणनें, त्यागे ने जासी निरवांण रे।।