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भरत चरित
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२२,२३. पूर्वोक्त मागध कुमार ने जिस तरह से भरत नरेंद्र का विनय किया उसी प्रकार प्रभाष देव ने भी किया, सीख मांगी यावत् अपने स्थान पर लौट गया ।
२४. देवता ने आज्ञा स्वीकार की, भरतजी ने इसे भी एक विडंबना ही मानते हैं। इसे भी छोड़कर मुक्ति जाएंगे।