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भरत चरित
११९ १०. धनुष का आकार पंचमी के चंद्रमा जैसा है। उसकी कांति विद्युत जैसी है। उसे अपने बाएं हाथ में लेकर मागध तीर्थ की ओर उसे फेंक दिया।
११. बाण त्वरित गति से तत्काल बारह योजन दूर जाकर मागध तीर्थ के अधिपति देवता के भवन में गिरा।
१२. बाण को पड़ा देखकर असुर देवता तत्काल कुपित हुआ। अपने ललाट पर तीन लकीरें चढ़ाकर क्रोधवश होकर विकराल वचन बोलने लगा।
१३. यह अनिच्छित की इच्छा करने वाला अमावस-चतुर्दशी के दिन पैदा होने वाला पुण्यहीन लज्जा और लक्ष्मी से रहित दुष्ट कौन है जिसने मेरे भवन में बाण फेंका है?।
१४. भरतजी ने यह बाण फेंका यह एक प्रकार से संसार का तमाशा ही समझना चाहिए, अंतत: वे इसे छोड़ विशुद्ध चारित्र का पालन कर कर्मों का नाश कर मोक्ष में जाएंगे।