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12. यद् द्रव्यं मया रक्षितं तत् सर्वं त्वया त्यक्तम्-जो द्रव्य मैंने रखा था, वह सब
तूने छोड़ दिया। 13. पुनः पुनः श्रुतम् अपि लेखितुं न शक्नोमि-बार-बार सुने हुए को भी मैं लिख
नहीं सकता। 14. यत् जलं त्वया आनीतं तत् शुद्ध नास्ति-जो जल तू लाया है, वह शुद्ध नहीं
तया
15. मया कूपात् जलम् आनीतम् अस्ति, अतः तद् शुद्धम् एव अस्ति-कुएँ से जल लाया हूँ, इसलिए वह शुद्ध ही है।
दकारान्त स्त्रीलिंग 'तद्' शब्द 1. प्रथमा ।
वह 2. द्वितीया ताम्
उसको 3. तृतीया
उसने 4. चतुर्थी तस्यै उसके लिए 5. पञ्चमी तस्याः उससे 6. षष्ठी तस्याः उसका 7. सप्तमी तस्याम् उसमें
'तद्' शब्द के पुल्लिंग रूप पहले दिए हुए हैं। पाठकों को चाहिए कि वे पुल्लिंग रूपों में जो भिन्नता है उसको ठीक प्रकार समझ लें। पुल्लिंग शब्द के बदले पुल्लिंग रूप आएँगे और स्त्रीलिंग शब्द के बदले स्त्रीलिंग रूप आएँगे, यह नियम है। नीचे दिए वाक्यों को ध्यान से देखने से इस नियम का पूरा पता लग जाएगा।
वाक्य
1. यः पुरुषः ग्रामाद् आगतः सः इदानीम् अत्र नास्ति-जो व्यक्ति गाँव से आया,
वह अब यहाँ नहीं है। 2. या बालिका नगरं गता सा कस्य पुत्री-जो लड़की शहर गई वह किसकी पुत्री
3. तं पुत्रं तस्मिन् स्थाने पश्य-उस पुत्र को उस स्थान में देख। 4. तां पुर्वी तस्मिन् स्थाने पश्य-उस बेटी को उस स्थान में देख। 5. तव धर्मपत्नी अत्र अस्ति किम् ? यदि अस्ति तर्हि तया किम् इदानीं कर्तव्यम्-तेरी
धर्मपत्नी यहाँ है क्या ? अगर है तो उसे अब क्या करना है ? 6. तस्यै जलं देहि-उस स्त्री के लिए जल दे। 7. तस्याः वस्त्रं कुत्र अस्ति-उस स्त्री का कपड़ा कहाँ है ?