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6. षष्ठी
धेनोः ।
धेन्वाः । 7. सप्तमी
धेनौ ।
धेन्वाम् । सम्बोधन (हे) धेनो चतुर्थी से सप्तमी तक चारों विभक्तियों में एकवचन के रूप दो-दो होते हैं, यह बात ध्यान में रखनी चाहिए।
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शब्द
रज्जुः-रस्सी।
तनुः-शरीर।
वाक्य
हनुः-ठुड्डी।
1. मातृदेवो भव-माता को देवता समझ। 2. पितृदेवो भव-पिता को देवता समझ। 3. आचार्यदेवो भव-गुरु को देवता समझ। 4. अतिथिदेवो भव-अतिथि को देवता मान। 5. सत्यं ब्रूयात्-सच बोल। 6. प्रियं ब्रूयात्-प्रिय बोल। 7. सत्यम् अप्रियं न ब्रूयात्-अप्रिय सत्य न बोल। 8. प्रियम् असत्यं न ब्रूयात्-प्रिय असत्य न बोल। 9. सत्यात् परः धर्मः नास्ति-सत्य से ऊँचा धर्म नहीं है। 10. असत्यसमः नः कः अपि अधर्मः-असत्य के समान कोई अधर्म भी नहीं। 11. इह एहि-यहाँ आ। 12. श्वः विसृष्टिः अस्ति-कल छुट्टी है। 13. शास्त्रेण विना मनुष्यः अन्धः-शास्त्र के बिना मनुष्य अन्धा है।
सरल वाक्य-संवाद रामः-हे मित्र ! त्वं कुत्र गच्छसि इदानीम् ? विष्णुः-इदानीमहं भ्रमणार्थं गच्छामि। रामः-कः समयः इदानीम् ? विष्णुः-इदानीं सप्तवादनसमयः। रामः-इदानी भ्रमणाय बहिः गत्वा पुनः कदा स्वगृहमागमिष्यसि ? विष्णुः-अहमवश्यमष्टवादनसमये स्वगृहमागमिष्यामि।