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अमृतसरे। 10. यथा विहगः आकाशे गच्छति, तथा मनुष्यः अत्र गच्छति। 11. अद्य कुमारः कुत्र वर्तते ?
पाठ 18
शब्द
मार्जनलेपः-साबुन।
पर्यंकः-पलंग। आलस्यम्-आलस।
आनन्दः-आनन्द। ईन्धनम्-लकड़ी, ईंधन। शौचम्-शौच। उत्तिष्ठामि-उठता हूँ। उत्तिष्ठसि-(तू) उठता है। पङ्कः-कीचड़।
सूत्रम्-धागा। हवनार्थम्-हवन के लिए। इह-यहाँ। इति-ऐसा।
उत्तिष्ठति-(वह) उठता है। हवनकुण्डम्-हवनकुण्ड। यज्ञसामग्री-हवन-सामग्री।
वाक्य 1. भो शिष्य ! उत्तिष्ठ, आलस्यं न कुरु-हे शिष्य ! उठ, आलस न कर। 2. अहम् उत्तिषठामि, शौचं स्नानं च कृत्वा हवनार्थम् आगच्छामि-मैं उठता हूँ,
शौच और स्नान करके हवन के लिए आता हूँ। 3. शीघ्रम् उत्तिष्ठ तत्र च सत्वरम् आगच्छ-जल्दी उठ और वहाँ शीघ्र आ। 4. तत्र हवनार्थम् ईन्धनं नास्ति-वहाँ हवन के लिए लकड़ी नहीं है। 5. यज्ञकुण्डं कुत्र अस्ति-हवनकुण्ड कहाँ है ? 6. अहं न जानामि-मैं नहीं जानता। 7. तत्र एव पश्य शीघ्रं च अत्र आनय-वहाँ ही देख और शीघ्र यहाँ ले आ। 8. भो मित्र ! हवनकुण्डम् अहम् आनयामि, त्वम् ईन्धनम् आनय-मित्र ! हवनकुण्ड ___मैं लाता हूँ, तू लकड़ी ले आ।
9. यज्ञसामग्री अत्र अस्ति-हवन सामग्री यहाँ है। 10. स्नानं कृत्वा एव हवनं करोमि-स्नान करके ही हवन करता हूँ। 11. स्नानं सन्ध्यां च कृत्वा हवनं कुरु-स्नान और सन्ध्या करके हवन कर। 12. इदानी देवदत्तः सन्ध्यां करोति-अब देवदत्त सन्ध्या करता है।