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इकारान्त पुल्लिंग शब्द भूपतिः-राजा।
ऋषिः-ऋषि। क्षेत्रपतिः-खेत का मालिक।
नृपतिः-राजा। प्राणपतिः-प्राणों का स्वामी। प्रजापतिः-ईश्वर, राजा। मारुतिः-हनुमान्।
सुमतिः-उत्तम बुद्धिवाला यतिः-तपस्वी।
मुरारिः-विष्णु। सेनापतिः-फ़ौज का बड़ा अफ़सर। वह्निः-आग। मुनिः-तपस्वी।
दुर्मतिः-बुरी बुद्धिवाला। राशि:-ढेर।
विधिः-दैव, ब्रह्मा, ईश्वर। वाल्मीकिः-रामायण के लेखक का नाम।
ये सव शब्द पूर्वोक्त 'रवि' शब्द के समान ही चलते हैं। नमूने के लिए 'नृपति' और 'मुनि' के रूप देते हैं। 1. नृपतिः-राजा।
1. मुनिः-मुनि 2. नृपतिम्-राजा को। 2. मुनिम्-मुनि को। 3. नृपतिना-राजा ने, द्वारा। 3. मुनिना-मुनि ने, द्वारा 4. नृपतये-राजा के लिए। 4. मुनये-मुनि के लिए। 5. नृपतेः-राजा से।
5. मुनेः-मुनि से। 6. नृपतेः-राजा का। 6. मुनेः-मुनि का। 7. नृपतौ-राजा में।
7. मुनौ-मुनि में। ___ सं. हे नृपते-हे राजन्। . सं. हे मुने-हे मुनि।
पाठकों को चाहिए कि वे इस प्रकार अन्यान्य शब्दों के भी रूप बनाएँ और विभक्ति द्वारा उनके अर्थ कैसे होते हैं, यह देखें।
(1) किं क्षेत्रपतिना तव उत्तरीयं न दत्तम् ? (2) तस्य गृहे अद्य यतिः आगतः। (3) दुर्मतिना सह मित्रतां न कुरु। (4) सुमतिना सह मित्रतां कुरु। (5) सेनापतिः सैन्यं पश्यति। (6) पश्य कथं सः मुनिना सह गच्छति। (7) वाल्मीकिना रामायणं रचितम्। (8) रामायणे रामचन्द्रस्य चरितम्' अस्ति। (9) तव बन्धुः रात्रौ एव उष्णं जलं पिवति। (10) उष्णं जलं तस्मै इदानीम् एव देहि। (11) अत्र रक्तं दीपं शीघ्रम् आनय। (12) नृपतिः अद्य भ्रमणाय गमिष्यति। (13) त्वम् इदानीं यत्र कुत्र अपि गच्छ। (14) विष्णुमित्रः उद्यानं गत्वा पश्चात् गृहं गमिष्यति। (15) यत्र जगदीशचन्द्रः गमिष्यति तत्र विष्णुदत्तः अपि गमिष्यति एव । (16) अहम् ओदनं नैव भक्षयिष्यामि। (17) सः
42 | 1. चरितम्-कथा।