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6. तथा कुरु-वैसा कर। 7. स्नानं सन्ध्यां च कृत्वा पुस्तकं पठिष्यामि-स्नान और सन्ध्या करके पुस्तक
पढूँगा। 8. भो मित्र ! किं त्वं प्रातर् अग्निहोत्रं न करोषि-हे मित्र ! क्या तू सवेरे अग्निहोत्र
नहीं करता ? 9. कुतः न करोमि, सदा करोमि एव-क्यों नहीं करता ? हमेशा करता हूँ। 10. पश्चात् मध्याहे किं किं करिष्यसि-फिर दोपहर को क्या-क्या करेगा ? 11. भोजनं कृत्वा पठनाय पाठशालां गच्छामि-भोजन करके पढ़ने के लिए मैं
पाठशाला जाता हूँ। 12. अहं सर्वदा पुस्तकं पठितुम् इच्छामि-मैं हमेशा पुस्तक पढ़ना चाहता हूँ।
शब्द
भ्रमणाय-घूमने के लिए। किमर्थम्-किसलिए। तिष्ठसि-तू ठहरता है, बैठता है। स्थास्यति-वह ठहरेगा, बैठेगा। स्थितः-ठहरा हुआ। पीतः-पीला। स्थातुम्-ठहरने के लिए। स्थास्यामि-ठहरूँगा, बैलूंगा। . उत्तिष्ठ-उठ।
दानाय-देने के लिए। तिष्ठति-ठहरता है, बैठता है। तिष्ठामि-ठहरता हूँ, बैठता हूँ। तिष्ठ-ठहर, बैठ। रक्तम्-लाल या खून। स्थित्वा-ठहरकर, बैठकर। स्थास्यति-तू ठहरेगा, बैठेगा। अथ किम्-और क्या ? उत्थितः-उठा हुआ।
वाक्य
1. अत्र त्वं किमर्थं तिष्ठसि, वद-यहाँ तू किसलिए ठहरता है, बता। 2. इदानीम् अत्र विष्णुमित्रः आगमिष्यति-अब यहाँ विष्णुमित्र आएगा। 3. पश्चात् किं करिष्यसि-(तू) इसके बाद क्या करेगा ? 4. सायं भ्रमणाय अहं गमिष्यामि-शाम को घूमने के लिए जाऊँगा। 5. धनं किमर्थम् अस्ति-धन किस प्रयोजन के लिए है ? 6. धनं दानाय एव अस्ति-धन दान के लिए ही है। 7. उद्यानं गत्वा तत्र स्थातुम् इच्छामि-बाग जाकर वहाँ बैठना चाहता हूँ। 8. तत्र स्थित्वा किं करिष्यसि-वहाँ बैठकर तू क्या करेगा ?
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