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अलंकारः - ज़ेवर । छात्रः- शिष्य ।
व्याधः- शिकारी ।
स्नेहः - दोस्ती ।
कपोलः - गाल ।
अकारान्त पुंल्लिंग शब्द
दण्डः - सोटा |
ब्राह्मणः - ब्राह्मण ।
स्तेनः - चोर |
वर्णः - रंग |
: - लहर ( पानी की) ।
तरङ्गःनयनम् - आँख
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प्रवाहः -वेग |
आतपः- धूप ।
पुरुषार्थः - प्रयत्न ।
ओष्ठः - ओठ ।
चातकः - पपीहा ।
द्विरेफः - भ्रमर, भंवरा । नेत्रम् - आँख ।
शक्रः - इन्द्र |
उद्यमः - उद्योग ।
उपदेशः- उपदेश ।
कुक्कुरः- कुत्ता ।
इन शब्दों के रूप 'राम' और 'देव' शब्दों के समान ही होते हैं। पाठकों को चाहिए कि वे इनके सातों विभक्तियों के रूप बनाएं और उनका वाक्यों में प्रयोग करें ।
वाक्य
1. तेन कर्णे हस्ते च अलङ्कारः धृतः - उसने कान में और हाथ में ज़ेवर धारण किया है।
2. मित्रेण हस्ते श्वेतः दण्डः धृतः - मित्र ने हाथ में सफेद सोटी पकड़ी है। 3. कुमारेण मुखे हस्तः धृतः - लड़के ने मुख में हाथ डाला है ।
4. कृष्णः हस्तेन रामाय फलं ददाति-कृष्ण हाथ से राम के लिए फल देता है । 5. अत्र जलस्य प्रवाहः अस्ति- यहाँ जल का वेग है I
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6. सः पुरुषः आतपे तिष्ठति - वह व्यक्ति धूप 7. हे मित्र, जलस्य तरङ्गं पश्य - दोस्त ! जल की लहर को देख ।
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8. सः सदा उद्यमं करोति - वह हमेशा पुरुषार्थ करता है ।
9. आचार्यः उपदेशं करोति-गुरु उपदेश देता है ।
10. जनः मुखेन वदति - पुरुष मुँह से बोलता है ।
11. कुमारः व्याघ्रं ताडयति - लड़का शेर को पीटता है । 12. तस्य कुक्कुरः अन्नं भक्षयति-उ - उसका कुत्ता अन्न खाता है ।
13. लोकः नेत्राभ्यां पश्यति - मनुष्य आँखों से देखता है ।
14. मनुष्यः कर्णाभ्यां शृणोति मनुष्य कानों से सुनता है ।
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15. छात्रः प्रातर् अध्ययनं करोति - विद्यार्थी सवेरे पठन करता है।
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