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खन् अवदारणे अहं खनामि आवां खनावः
वय खनामः त्वं खनसि युवां खनथः
यूयं खनथ रामः खनति
रामलक्ष्मणौ खनतः रामलक्ष्मणशत्रुघ्नाः खनन्ति क्रिया के रूपों की तैयारी इस प्रकार करनी चाहिए कि कभी भूल न हो। सब क्रियाओं के सब रूप बनाकर इस प्रकार लिखें
उत्तम पुरुष अहम् - (मैं एक) - वदामि - (बोलता ह) आवाम् – (हम दो) - वदावः - (बोलते हैं) वयम् – (हम सब)
वदामः - (बोलते हैं)
मध्यम पुरुष त्वम् - (तू एक)
वदसि - (बोलता है) युवाम् – (तुम दो) - वदथः - (बोलते हो) यूयम् - (तुम सब)
वदथ - (बोलते हो)
प्रथम पुरुष सः – (वह एक) - वदति - (बोलता है) तौ - (वे दो)
वदतः - (बोलते हैं) ते - (वे सब)
वदन्ति - (बोलते हैं) इन रूपों को देखने से उनके प्रयोग का पता लगेगा। इसको पाठक विशेष ध्यानपूर्वक स्मरण रखें, कभी न भूलें। इसी से वे शुद्ध वाक्य बना सकेंगे, अन्यथा नहीं। कर्ता और क्रिया का पुरुष और वचन एक जैसा होना चाहिए, जैसे हिन्दी में भी होता है।
पाठ 37
धर्मः-कर्तव्य कर्म अक्रोधः-शांति संविभागः-कार्य के उत्तम विभाग
याचेत-भीख मांगे यजेत-यज्ञ करे दस्युवधः-डाकुओं का नाश