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इनके रूप 'वद्' धातु के समान ही होते हैं ।
रामः अटति - राम घूमता है ।
रामलक्ष्मणौ अटतः - राम और लक्ष्मण (ये दोनों) घूमते हैं।
जनाः अटन्ति - सब लोग घूमते हैं ।
त्वं असि - तू जाता है ।
यूयं अतथ - तुम सब जाते हो ।
युवां अवथः- तुम दोनों रक्षण करते हो ।
सुवर्णम् अर्घति - सोने का मूल्य होता है । देवदत्तः अर्चति-देवदत्त पूजा करता है '
कोशलः - देश का नाम
स्फीतः - उन्नत, बड़ा, शुद्ध मुदितः- आनन्दित
पाठ 35
जनपदः - राष्ट्र
निर्मिता-बनाई हुई अमरावती - देवों की नगरी
मन्त्रज्ञाः - गुप्त बातें जाननेवाले, उत्तम
सलाहकार
प्रशान्त-शांतियुक्त
तप्यमान
न- तपनेवाला
वंशकर - वंश चलानेवाला
अन्तःपुरम् - स्त्रियों का स्थान
पुत्रीय - पुत्र उत्पन्न करनेवाला
अर्घ-आधा
अवशिष्ट - बाकी, शेष
दारक्रिया - विवाह
निवसति रहता है
पौरप्रियः - जनों का प्यारा वशी - इन्द्रियों पर नियंत्रण रखनेवाला [140 सत्याभिसन्धः - सत्य प्रतिज्ञा करनेवाला
इङ्गितज्ञः - गुप्त विचार जाननेवाला
मन्त्रिणः - वज़ीर, प्रधान
मृषावादी - झूठ बोलनेवाला
बभूव-हुआ चिन्तयमान- चिंता करनेवाला
बुद्धिः - विचार
श्लक्ष्णम्-नरम, मीठा अब्रवीत्-बोला
यजामि - यज्ञ करता हूं
अमानयत् - मनाया
अनुज्ञात- आज्ञा किया हुआ
पावक - अग्निः
भूत-प्रकट हुआ
पायसम् - खीर पात्री - बरतन
तथेति ठीक ऐसा कहकर
प्रीतः - संतुष्ट हुआ अभिवाद्य - नमस्कार करके
हयमेधः
वाजिमेधः अश्वमेध