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पुंसाम्
5. पुंसः 6. ,
पंसोः 7. पुंसि इस शब्द के रूपों में विशेषता यह है कि 'भ्याम्, भिः, भ्यसः' व्यञ्जनादि प्रत्ययों के आगे होने पर 'पुम्स' के सकार का लोप होता है तथा स्वरादि प्रत्यय आगे आने पर नहीं होता।
हकारान्त पुल्लिंग 'अनडुङ्' शब्द 1. अनड्वान् अनड्वाही
अनड्वाहः सम्बोधन (हे) अनड्वन् (हे) , 2. अनड्वाहम्
अनडुहः 3. अनडुहा अनडुद्भ्याम् अनडुद्भिः 4. अनडुहे
अनडुद्भ्यः 5. अनडुहः 6. अनडुहः अनडुहोः
अनडुहाम् 7. अनडुहि
अनडुत्सु इस शब्द में विशेषता यह है कि द्वितीया के बहुवचन से 'ड्व' स्थान पर 'डु' होता है, तथा स्वरादि प्रत्ययों के समय अन्त में 'ह' रहता है और व्यञ्जनादि प्रत्ययों के समय 'ह' के स्थान पर 'द्' हो जाता है, परन्तु 'सु' प्रत्यय के पूर्व 'त्' होता
है।
शब्द-पुल्लिंग भृत्य = सेवक, नौकर। असन्तोष = गुस्सा। अपरागः = अप्रीति। पादः = चरणः, पाँव। भर्तृ = स्वामी। स्नेह = दोस्ती, मैत्री। वाग्मिन् = बोलने वाला, वक्ता। महाहव = बड़ा युद्ध। पशु = लूला।
स्त्रीलिंग सम्पत्ति = पैसा, दौलत। विपत्ति = मुसीबत, दारिद्रय । तृष्णा = प्यास । लप्का = लाज, शरम। वाचालता = तीसमारखां का स्वभाव । स्वाधीनता = स्वातन्त्र्य।
नपुंसकलिंग कार्पण्य = कृपणता, कंजूसी। आनन = मुख। पृष्ठ = पीठ। व्यसन = कष्ट।
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