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एकवचन
1.
सखा
सम्बोधन (हे) सखे
2. सखायम्
3. सख्या
सख्ये
सख्युः
भो
गै
इकारान्त पुल्लिंग 'सखि' शब्द
द्विवचन
सखायौ
(हे),
अस्मिन्
तस्मिन्
4.
5.
""
6.
सखीनाम्
77
7. सख्यौ
सखिषु
19
'सखि ' इकारान्त होने पर भी 'हरि' शब्द के समान रूप नहीं बनाता, यह बात ध्यान रखनी चाहिए। इसी प्रकार 'पति' आदि शब्द हैं जो विशेष प्रकार से चलते हैं, जिनका विचार हम आगे करेंगे।
नियम 1 - विसर्ग के पूर्व अकार हो तथा उसके बाद 'अ' के अलावा दूसरा कोई स्वर आ जाए तो विसर्ग का लोप हो जाता है । जैसे
रामः
+
इति
देवः
+
इच्छति
राम इति देव इच्छति सूर्य उद
सूर्यः
+
उदयते
=
नियम 2 - शब्दान्त के 'ए, ऐ, ओ औ' के सामने कोई स्वर आने से उनके स्थान में क्रमशः ‘अय्, आयू, अव्, आव्' ऐसे आदेश होते हैं
+
अ
नय
अ
भव
तान्
ऋषीन्
रवीन्
"7
सखिभ्याम्
+
उद्याने
इति
""
""
सख्योः
=
=
=
+
अ
=
गाय
नियम 3 - पदान्त के नकार के पूर्व 'अ, इ, उ, ऋ, लृ,' में से कोई एक स्वर हो और उसके पश्चात् कोई स्वर आ जाए तो, उस नकार को द्वित्त्व प्राप्त होता है । जैसे
बहुवचन
सखायः
(हे)
-
""
सखीन्
सखिभिः
सखिभ्यः
=
+
आसन्
+
अत्र
आसन्नत्र
यह नकार दीर्घ स्वर के पश्चात् आए तो द्वित्त्व नहीं होता। जैसे
+
अपि
+
इच्छ
+ उपास्ते
अस्मिन्नुद्याने तस्मिन्निति
तानपि ऋषीनिच्छति रवीनुपास्ते
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