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6. अत्र दीपं पश्य-यहाँ दीए को देख। 7. सः रात्रौ दीपेन पुस्तकं पठति-वह रात्रि में दीए से पुस्तक पढ़ता है। 8. ईश्वरेण धनं दत्तम्-ईश्वर ने धन दिया। 9. मनुष्याय ज्ञानं देहि-मनुष्य को ज्ञान दे। 10. अश्वाय जलं देहि-घोड़े के लिए जल दे। 11. दीपात् प्रकाशः भवति-दीप से प्रकाश होता है। 12. ईश्वरात् ज्ञानं भवति-ईश्वर से ज्ञान होता है। 13. सः गणस्य ईश्वरः अस्ति-वह गण (समूह) का मालिक है। 14. सः समूहस्य ईशः अस्ति-वह समूह का मालिक है। 15. पुस्तके ज्ञानम् अस्ति-किताब में ज्ञान है। 16. मासे दिवसाः सन्ति-महीने में दिन होते हैं। 17. समूहे मनुष्याः सन्ति-समूह में मनुष्य होते हैं। 18. आकाशे खगाः सन्ति-आकाश में पक्षी हैं।
इनके निषेध के वाक्य पाठक स्वयं बना सकते हैं। पाठकों को चाहिए कि वे उक्त शब्दों की अन्य विभक्तियों के रूप बनाकर उनसे भी वाक्य बनाएं और अपना अभ्यास करें।
वाक्य 1. तत्र आकाशे खगं पश्य। 2. हे देवदत्त ! यज्ञदत्तः कुत्र गच्छति ? 3. इदानीं यज्ञदत्तः गृहं गच्छति। 4. श्रीकृष्णस्य उत्तरीयम् अत्र आनय। 5. सः तत्र व्यर्थं गच्छति। 6. सः पुरुषः किमर्थं पुष्पम् आनयति ?
पाठ 6
उपदेशकः-उपदेशक। करोति-वह करता है। करोमि-करता हूँ। पटः-वस्त्र, कपड़ा। लवणम्-नमक।
देवदत्तः-देवदत्त। कृष्णचन्द्रः-कृष्णचन्द्र। करोषि-तू करता है। चित्रम्-चित्र, तस्वीर। पुष्पमालाम्-फूलों की माला को।