________________
रामः तत्र-रामस्तत्र कवेः+टीका-कवेष्टीका
नियम 3-पदान्त के विसर्ग के सम्मुख श, ष, स आने से विसर्ग का श, ष, स बन जाता है, परन्तु कभी-कभी विसर्ग ही बना रहता है। जैसे
धनञ्जयः+सर्वः धनञ्जयस्सर्वः (अथवा) धनञ्जयः सर्वः देवाः+षट्-देवाष्पट्
देवाः षट् श्वेतः+शंख: श्वेतश्शंखः , श्वेतः शंखः
ये नियम अच्छी प्रकार याद करने के पश्चात् निम्नलिखित शब्दों को याद कीजिए
शब्द-क्रियापद निश्चिक्युः-निश्चय किया (उन्होंने) त्रुट्यन्ति-टूटते हैं (वे)। ऊचुः-कहा (उन्होंने)। कुर्यात्-करें। चर्वामः-चर्वण करें (हम)। अशुष्यन्-दुबले हो गए या (वे) सूख गए। सङ्ग्रहीमः-संग्रह करते हैं (हम)। रचयामास-रचा (उसने)। क्लिश्नीमः-दुःखित होते हैं (हम)। श्रमित्वा-थककर। उन्मीलित-खुला। विदध्मः-(हम) करते हैं। श्राम्यामः-(हम) थकते हैं। अकृत्वा-न करके। अमन्त्रयत-विचार किया (उसने)। सम्प्रधार्य-रखकर (उसने)।
शब्द-पुल्लिंग दण्डिन्-संन्यासी, दण्डधारी। शृङ्गिन-सींग जिसके हैं। चक्रिन्-चक्रधारी। स्रग्विन्-मालाधारी। अवयव-शरीर का हिस्सा। अमात्यः-दीवान साहब। तस्करः-चोर। ग्रासः-कौर, टुकड़ा। दन्तः-दांत । भंगः-टूटना। अतिक्रमः-उल्लंघन । संकोचः-लज्जा। व्ययः-ख़र्च। करिन्-हाथी। हस्तिन्-हाथी। बलिः-देव-भेंट। भागधेयः-राजा का कर। आयासः-परिश्रम। आत्मन्-अपना, आत्मा। कृमिः-कीड़ा। उपद्रवः-कष्ट। अनुरोधः-आग्रह। आवासः-निवासस्थान। प्रमाथः-अन्याय।
स्त्रीलिंग मर्यादा-हद। राजधानी-राजा का नगर। अंगुलिः-अंगुली। नगरी-शहर।
नपुंसकलिंग उदरम्-पेट। सुखम्-सुख। धनम्-धन। लुण्ठनम्-लूट। भरणम्-भरना।
1547 दुःखम्-तकलीफ़।