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नकारान्त पुल्लिंग 'युवन्' शब्द
द्विवचन
युवानौ
(हे),,
एकवचन
1.
युवा
सम्बोधन (हे) युवन्
2. युवानम्
3. यूना 4. यूने
5. यूनः
6. यूनः
7.
यूनि
एकवचन
1.
मघवा
सम्बोधन (हे) मघवन्
2. मघवानम् 3. मघोना
4. मघोने
5.
मघोनः
6.
""
7. मघोनि
युवभ्याम्
=
"
=
27
""
यूनोः
यूनाम्
युवसु
नकारान्तः पुल्लिंग ' मघवन्' शब्द
द्विवचन
मघवानी
(है)
"
11
17
मघवभ्याम्
""
मघोनोः
""
बहुवचन
युवानः
27
17
"
यूनः
युवभिः
युवभ्यः
"
27
""
मधवसु
श्वन् (कुत्ता), युवन् (जवान), मघवन् (इन्द्र) इनके अर्थ हैं । इनके प्रयोग संस्कृत में बहुत बार आते हैं इसलिए पाठक इनका ठीक-ठीक स्मरण रखें।
अब सन्धि के कुछ और नियम देते हैं
नियम 1 - पदान्त के मकार के सम्मुख क, च, ट, त, प, इन पांच वर्गों में से कोई व्यंजन आ जाए तो उस मकार का अनुस्वार बन जाता है अथवा उसी वर्ग का अनुनासिक (पांचवां व्यंजन) बनता है जैसे
पीतं कुसुमम्, अथवा
रक्तं जलम्
पीतम्+कुसुमम् रक्तम्+ जलम् चक्रम्+ढौकि चक्रं ढौकति पुस्तकम्+दर्शय = पुस्तकं दर्शय
=
दुग्धम्+ पीतम् = दुग्धं पीतम् .
बहुवचन
मघवानः
(हे)
मघोनः मघवभिः
मघवभ्यः
"
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मघोनाम्
पीतङ्कुसुमम्
रक्तञ्जलम्
चौक
पुस्तकन्दर्शय दुग्धपीतम्