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नियम 2-पदान्त के अनुस्वार का 'म्' हो जाता है और उसके आगे जो स्वर आएगा, उस स्वर के साथ वह मकार मिल जाता है। जैसे
1. किम् अस्ति किमस्ति। 2. वधम् अभिकांक्षन् वधमभिकांक्षन्। 3. इदम् औषधम् इदमौषधम्।
इस प्रकार सन्धियाँ जोड़कर वाक्य लिखने से पाठकों को कठिनता होगी, इसलिए इस पुस्तक में किसी-किसी स्थान पर सन्धि की है, अन्य स्थानों पर नहीं की है। अब पाठक इन नियमों के अनुसार पाठों में जहां-जहां सन्धि नहीं की है, वहां-वहां सन्धि करें, उसे लिखें, जिससे सन्धियों का उनका अभ्यास दृढ़ हो जाए।
शब्द-पुल्लिंग दण्डः = सोटी, डण्डा। महावीरः = बड़ा शूर, एक देवता। एकैकः = हर एक। मासः = महीना। मासि = महीने में। दुरात्मन् = दुष्ट आत्मा। विप्रवेशः = पंडित की पोशाक । वासरः = दिन। नन्दनः = पुत्र, लड़का। प्रहसन् = हंसता हुआ। भवताम् = आपका। भवन्तः = आप (बहुवचन)। भगान् = आप (एकवचन)। बलिः = बली, भोजन। दृष्टाशयः = बुरे मनवाला। महाशयः = अच्छे मनवाला। अभिकाङ्क्षन् = इच्छा करनेवाला। जनपदः = प्रदेश। मधुपर्कः = दधि, मधु, घी। पार्थिवः = राजा। स्तुवन् = स्तुति करता हुआ। स्वः = अपना।
स्त्रीलिंग चतुर्दशी = चौदहवीं तिथि, चौदह तारीख । भूमिः = पृथ्वी। कारा = जेलखाना।
नपुंसकलिंग वक्तव्यम् = बोलने योग्य । अभिलषितम् = इच्छित । भीषणम् = भयंकर । द्वन्द्वम् = मल्लयुद्ध। वस्तु = पदार्थ। स्ववेश्मन् = अपना घर। वेश्मन् = घर। आसन् = आसन। गृहम् = घर। मद्गृहम् = मेरा घर। कारागृहम् = जेलखाना।
विशेषण मन्वान = माननेवाला। भीषण = भयंकर। संशोधित = शुद्ध किया हुआ। कारागृहीत = जेल में पड़ा हुआ। कृतकृत्य = कृतार्थ । दीक्षित = जिसने दीक्षा ली हुई है। बलिष्ठ = बलवान। उचित = योग्य, ठीक, मुनासिब।