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पाठ 7
पूर्वोक्त छः पाठों में अकारान्त, इकारान्त तथा उकारान्त पुल्लिंग शब्द बनाने का ढंग बताया है। इकारान्त तथा उकारान्त पुल्लिंग शब्द एक जैसे ही बनते हैं । इकारान्त पुल्लिंग शब्दों में जहां 'य' आता है, वहां उकारान्त पुल्लिंग शब्दों में 'व' आता है, तथा 'इ और उ' के स्थान पर क्रमशः 'ए और ओ' आते हैं, यह पाठकों के ध्यान में आया होगा । इसे याद रखने से शब्द याद करने की बहुत-सी मेहनत बच जाएगी।
दीर्घ आकारान्त, ईकारान्त तथा उकारान्त पुल्लिंग शब्द बहुत प्रसिद्ध न होने के कारण यहां नहीं दिये जा रहे । उनका विचार आगे करेंगे। अब इसी क्रम में ऋकारान्त शब्द के रूप देखिए
ऋकारान्त पुल्लिंग 'धातृ' शब्द
द्विवचन
धातारौ
एकवचन
1.
धाता
सम्बोधन हे धातः (धातर् )
2. धातारम्
3. धात्रा
4. धात्रे
5. धातुः
हे
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धातृभ्याम्
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धात्रोः
बहुवचन धातारः
हे "
धातृन् धातृभिः
धातृभ्यः
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धातृणाम्
6. धातुः 7. धारि
धातृषु
इसी प्रकार कर्तृ, नेतृ, नप्तृ, शास्तृ, उद्गातृ, दातृ, ज्ञातृ, विधातृ इत्यादि शब्द चलते हैं। इन सब शब्दों के रूप लिखें, ताकि सब विभक्तियों के रूप ठीक-ठीक याद हो जाएं। जितना बल पाठक इन शब्दों की तैयारी में लगायेंगे, उसी अनुपात में उनकी संस्कृत बोलने, लिखने आदि की शक्ति बढ़ेगी।
समास और उनके नियम
पूर्वोक्त छः पाठों में पाठकों ने देखा होगा कि वाक्यों में कई शब्द अकेले होते हैं तथा कई शब्द दो-दो तीन-तीन अथवा अधिक शब्दों से मिलकर बनते हैं । दो
अथवा दो से अधिक शब्दों से बने हुए शब्द - समूह को 'समास' कहते हैं । | जैसे - रामकृष्ण, गंगाधर, कृष्णार्जुन, ज्वरार्त, तपोवन, मुनिमूषक, इत्यादि । ये तथा इसी
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