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यह वाक्य निम्न प्रकार से बोला जाता हैआप्कब्यर्मे जाते हैं।
अर्थात् बोलनेवाला 'आप, कब, घर' इन तीन शब्दों के अन्त के आकार का लोप करके बोलता है। परन्तु हिन्दी व्याकरणों में इस विषय में कोई नियम नहीं दिया गया। संस्कृत का व्याकरण ऋषियों ने बहुत सूक्ष्मतापूर्वक बनाया है, इस कारण उसमें सब नियम दिए गये हैं। इससे स्पष्ट है कि सब भाषाओं में सन्धियां हैं। परन्तु सन्धि करना या न करना वक्ता की इच्छा तथा अवसर के ऊपर निर्भर है।
वाक्य
संस्कृत
हिन्दी
(1) नृपेण तस्मै धनं दत्तम्। (2) रामः सीतया सह वनं गतः। (3) अपराधं विना तेन सः दण्डितः।
(4) कुमारेण कण्ठे माला धृता।
(1) राजा ने उसको धन दिया। (2) राम सीता के साथ वन को गया।
(3) अपराध के बिना उसने उसको दंड दिया।
(4) लड़के ने गले में माला धारण की। __(5) मैंने उसकी बात भी नहीं सुनी।
(6) तूने सुख प्राप्त किया।
(7) कृष्ण के उपदेश से अर्जुन का मोह नाश हो गया।
(8) गंगा का जल स्नान करने को
(5) मया तस्य वार्ता अपि न श्रुता। (6) त्वया सुखं प्राप्तम्। (7) कृष्णस्य उपदेशेन अर्जुनस्य मोहः नष्टः ।
(8) गङ्गाया उदकं स्नानार्थम अत्र आनय। (9) ते गृहं गच्छन्ति। (10) जनास्तं' मुनिं नैव निन्दन्ति।
यहां ले आ।
__(9) वे घर जाते हैं।
(10) लोक उस मुनि को नहीं निंदते
पाठ 6
शब्द-पुल्लिंग भावितचेताः = विचारयुक्त। विषादः = खेद, कष्ट। विवेकः = विचार, सोच।
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जनाः +तं। 2. न+एव।