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(8) स्वरूपाख्यानम् - स्वस्य रूपं स्वरूपम्, स्वरूपस्य आख्यानं स्वरूपाख्यानम् = स्वरूपकथा इत्यर्थः ।
पाठ 3
मे
प्रथम पाठ में अकारान्त पुल्लिंग शब्दों के रूप बताये गये हैं । संस्कृत आकारान्त पुल्लिंग शब्द बहुत थोड़े होते हैं, तथा उनके रूप भी बहुत प्रसिद्ध नही होते, इसलिए उनको बनाने का प्रकार यहां नहीं दिया जा रहा । पाठक देखें कि आकारान्त शब्द प्रायः स्त्रीलिंग होते हैं, और अकारान्त शब्द स्त्रीलिंग नहीं होते किस शब्द का क्या अन्त होता है, यह ध्यान रखने के लिए कुछ शब्द नीचे दिए जा रहे हैं
1. अकारान्त-देव, राम, कृष्ण, धनञ्जय, ज्ञान, आनन्द 2. आकारान्त - रमा, विद्या, गङ्गा, कृष्णा, अम्बा, अक्का 3. इकारान्त - हरि, भूपति, अग्नि, रवि, कवि, पति 4. ईकारान्त - लक्ष्मी, तरी, तन्त्री, नदी, स्त्री, वाणी 5. उकारान्त- भानु, विष्णु, वायु, शम्भु, सूनु, जिष्णु 6. ऊकारान्त- चमू, वधू, श्वश्रू, यवागू, चम्पू, जम्बू 7. ऋकारान्त-दातृ, कर्तृ, भोक्तृ, गन्तृ, पातृ, वक्तृ
8. ऐकारान्त - रै (धन)
9. औकारान्त- द्यौ, गौ
10. ककारान्त-वाक्, सर्वशक्
11. तकारान्त-सरित्, भूभृत्, हरित्
12. दकारान्त-शरद्, तमोनुद्
13. सकारान्त- चन्द्रमस्, तस्थिवस्, मनस्
ये शब्द देखने से पाठक जान सकेंगे कि किस शब्द के अन्त में कौन-सा वर्ण
आता है।
अब इकारान्त पुल्लिंग 'हरि' शब्द क रूप देखिए
द्विवचन
हरी
एकवचन
1. हरिः
सम्बो. (हे) हरे
2. हरिम् 3. हरिणा
(हे)
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हरिभ्याम्
बहुवचन हरयः
(है) "
हरीन् हरिभिः