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यज्ञप्रिय नामक एक ब्राह्मण रहता था। 2. सः कस्मैचिद् कारणाय एकस्मिन् दिने अन्यं ग्राम प्रस्थितः-वह किसी कारण
एक दिन दूसरे गाँव को चला। 3. तदा तस्य माता तम् आह-तब उसकी माता ने उसे कहा4. हे पुत्र ! एकाकी मा व्रज-पुत्र ! अकेला न जा। 5. यज्ञप्रियः आह-हे मातः ! भयं न कुरु। अस्मिन् मार्गे किमपि भयं नास्ति।
अतः अहम् एकाकी एव गमिष्यामि-यज्ञप्रिय बोला-माता ! भय मत कर। __इस मार्ग में कुछ भी भय नहीं है। इसलिए मैं अकेला ही जाऊँगा। 6. तस्य निश्चयं ज्ञात्वा एकं कुक्कुरं हस्ते कृत्वा माता आह-उसका निश्चय
जानकर, एक कुत्ता हाथ में देकर माता बोली। 7. यदि त्वं गन्तुम् इच्छसि तर्हि एनं कुक्कुरं गृहीत्वा गच्छ-अगर तू जाना ही चाहता ___है तो इस कुत्ते को साथ ले जा। 8. तेन उक्तं तथा एव करोमि इति-उसने कहा, ऐसा ही करता हूँ। 9. ततः सः कुक्कुरं गृहीत्वा प्रस्थितः-फिर वह कुत्ते को लेकर चला। 10. अथ सः मार्गे गमनश्रमेण श्रान्तः कस्यचिद् वृक्षस्य अधस्तात उपविश्य . प्रसुप्तः-फिर वह मार्ग में चलने की मेहनत से थककर किसी वृक्ष के नीचे
सो गया। 11. तत्र कश्चित् सर्पः आगतः-वहाँ कोई एक साँप आ गया। 12. सर्पः तेन कुक्कुरेण हतः-उस साँप को कुत्ते ने मार डाला। 13. यदा सः ब्राह्मणः प्रबुद्धः तदा तेन दृष्टं कुक्कुरेण सर्पः हतः इति-जब वह ब्राह्मण
जागा तब उसने देखा कि कुत्ते ने एक साँप मार दिया है। 14. तं हतं सर्प दृष्ट्वा प्रसन्नः ब्राह्मणः तदा अब्रवीत्-उस मारे हुए साँप को देखकर
खुश हुआ ब्राह्मण बोला15. अरे ! सत्यम् उक्तं मम मात्रा-पुरुषेण कः अपि सहायः कर्तव्यः इति-अरे !
सच कहा था मेरी माता ने कि मनुष्य को कोई सहायक लेना ही चाहिए। 16. एकाकिना एव न गन्तव्यम् इति-उसे अकेले नहीं जाना चाहिए। 17. एवम् उक्त्वा सः ब्राह्मणः ग्रामं गतः-यह कहकर वह ब्राह्मण वापस गाँव चला
गया। 18. तत्र गत्वा स्वकीयं कार्यं च तेन कृतम्-वहाँ जाकर वह फिर अपना कार्य करने
लगा।
शब्द 138 'चित्' शब्द का संस्कृत में अर्थ 'एक' होता है।