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सबको
नपुंसकलिंग सर्वनामों के एकवचन में रूप (1) सर्व- प्रथमा सर्वम्
सब द्वितीया किम्- प्रथमा किम्
कौन , द्वितीया
किसको प्रथमा
जो , द्वितीया
जिसको (4) तत्- प्रथमा तत
वह , द्वितीया
उसको इनकी शेष विभक्तियों के रूप सर्वनामों के पुल्लिंग रूपों के समान होते हैं। देखिए पाठ 17 में 'सर्व' शब्द, पाठ 18 में 'किम्' शब्द, पाठ 22 में 'यद्' तथा 'तद्' शब्द। पाठक इनके रूप बनाकर लिखें, जिससे वे इनको कभी भूल न सकें।
पाठ 40
शब्द कथयति-(वह) कहता है। कथयसि-(तू) कहता है। कथयामि-कहता हूँ। वहति-(वह) बोझ उठाता है। वहसि-(तू) बोझ उठाता है। वहामि-(मैं) बोझ उठाता हूँ। शकटः-गड्डा, छकड़ा। बलीवर्दः-बैल । कथयिष्यसि-(त) कहेगा।कथयिष्यति-(वह) कहेगा। वहिष्यति-(वह) बोझ उठाएगा। कथयिष्यामि-कहूँगा। वहिष्यामि-(मैं) बोझ उठाऊँगा। वहिष्यसि-(तू) बोझ उठाएगा। छत्रम्-छाता। भृत्यः-नौकर । विष्टरः-कुर्सी, स्टूल, आसन।
वाक्य 1. सः पण्डितः रात्रौ रामस्य कथां कथयिष्यति, त्वमपि श्रोतुम् आगच्छ-पण्डित
रात को राम की कथा करेगा, तुम भी सुनने के लिए आना। 2. बलीवर्दः शकटं वहति, ग्रामात् ग्रामं चलति च-बैल गाड़ी खींचता है और एक
गाँव से दूसरे गाँव जाता है। 3. रजकस्य महिषः अद्य अत्र न अस्ति, यत्र कुत्र अपि गतः-धोबी का भैंसा आज
यहाँ नहीं है, कहीं इधर-उधर चला गया है। 4. मम भृत्यः इदानीमेव आपणं गतः, सः अद्य सायम् आगमिष्यति-मेरा नौकर 129