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शब्द पुष्पाणि-(अनेक) फूल। वस्त्राणि-(अनेक) वस्त्र। पात्राणि-(अनेक) पात्र। रजतम्-चांदी। ताम्रम्-तांबा। पित्तलम्-पीतल। भवन्ति-होते हैं। लौहः-लोहा। सुवर्णम्-सोना। वङ्गम्-कलई। रजताभ्रकम्-एलुमीनियम। मृण्मय-मिट्टी का। बहूनि-बहुत। साधु-अच्छे प्रकार।
वाक्य 1. मालाकारः उद्यानं गत्वा बहूनि पुष्पाणि आनयति-माली बाग़ में जाकर बहुत
से फूल लाता है। 2. सुवर्णकारः रजतस्य बहूनि पात्राणि अतीव मनोहराणि करोति-सुनार चाँदी के
अत्यन्त सुन्दर बहुत से बर्तन बनाता है। 3. ताम्रस्य पात्रे जलम् अतीव सुशुद्धं भवति-ताँबे के बर्तन में जल अत्यन्त शुद्ध
होता है। 4. पित्तलस्य पात्राणि पीतानि भवन्ति-पीतल के बर्तन पीले होते हैं। 5. ताम्रस्य पात्राणि रक्तानि-तांबे के बर्तन लाल होते हैं। 6. रजकः रक्तं वस्त्रं साधु प्रक्षालयितुं न शक्नोति-धोबी लाल कपड़ा अच्छी प्रकार
नहीं धो सकता। 7. सुवर्णपात्रं शोभनम्-सोने का बर्तन अच्छा है।
शब्द तडागः-तालाब । कूपः-कुआँ । समुद्रः-समुद्र । सागरः-समुद्र । समीपम्-पास। प्रपा-पानी पीने का स्थान, प्याऊ। नदी-दरिया। स्नानगृह-नहाने का स्थान। जलनलिका-पानी का नल।
वाक्य 1. त्वं तड़ागस्य समीपं गच्छ तत्रैव' च स्नानं कुरु-तू तालाब के पास जा और
वहीं स्नान कर। 2. तस्य तडागस्य जलमतीव' मलिनमस्ति तेन स्नानं कर्तुं नेच्छामि'-उस तालाब ___का जल बहुत ही गंदा है, उससे स्नान करना नहीं चाहता। 3. तर्हि अस्य कूपस्य जलेन स्नानं कुरु-तो उस कुएँ के जल से स्नान कर।
1. तत्र + एव। 2. जलम् + अतीव। 3. मलिनम् + अस्ति। 4. न + इच्छामि।