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इन सब शब्दों के लिंग गुणियों (विशेष्यों) के लिंगों के अनुसार बदलते रहेंगे। यह आप निम्न वाक्यों में देख सकते हैं। यदि यह बात पाठकों के ध्यान में आ गई तो आगे का व्याकरण उनके लिए बहुत सुगम हो जाएगा।
वाक्य 1. उत्तमः पुरुषः शोभने प्रातःकाले उत्तिष्ठति-उत्तम मनुष्य सुहावने सवेरे के समय ___ में उठता है। 2. शुद्धेन जलेन स्नात्वा सन्थ्योपासनं करोति-शुद्ध जल से स्नान करके
सन्ध्योपासना करता है। 3. यः एवं सदा करोति सः एव उत्तमः मनुष्यः भवति-जो इस प्रकार हमेशा करता
है, वही उत्तम मनुष्य होता है। 4. या एवं सदा करोति सा अपि उत्तमा स्त्री भवति-जो इस प्रकार हमेशा करती
है, वह भी उत्तम स्त्री होती है। 5. प्रातः स्नानं सन्ध्योपासनं च श्रेष्ठं कर्म अस्ति, इति अहं वदामि-प्रातः स्नान ____ और सन्ध्योपासना श्रेष्ठ कार्य है, यह मैं कहता हूँ। 6. सः अन्धपुरुषः रक्तं वस्त्रम् आनयति-वह अन्धा मनुष्य लाल कपड़ा लाता
7. सा अन्धा स्त्री श्वेतां पुष्पमालाम् आनयति-वह अन्धी स्त्री सफ़ेद फूलों की
माला लाती है। 8. सः वृद्धः पुरुषः श्वेते रथे उपविश्य अत्र आगच्छति-वह बूढ़ा मनुष्य सफ़ेद गाड़ी ___में बैठकर यहाँ आता है। 9. सा वृद्धा स्त्री रक्तं वस्त्रं हस्ते गृहीत्वा धावति-वह बूढ़ी स्त्री लाल कपड़ा हाथ
में लेकर दौड़ती है। 10. सः उद्यमशीलः बालः सदा उत्तम पुस्तकं पठति-वह उद्यमी बालक सदा उत्तम
पुस्तक पढ़ता है। 11. उद्यमशीला बालिका सदा उत्तमां पुष्पमालां करोति-उद्यमी लड़की हमेशा उत्तम
पुष्पमाला बनाती है। 12. सः रुग्णः बालः मधुरम् अपि दुग्धं न पिबति-वह रोगी बालक मीठा दूध नहीं
पीता। 13. सा रुग्णा बालिका मधुरम् अपि दुग्धं न पिबति-वह रोगी लड़की मीठा दूध
भी नहीं पीती।