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________________ भी झूठ नहीं बोलना चाहिए, सदा सच ही बोलना चाहिए । 15. इदम् अहम् अनृतात् सत्यम् उपैमि - यह मैं झूठ से (झूठ को छोड़कर) सत्य को प्राप्त होता हूँ । पाठ 36 पहले पाठों में पुल्लिंग, स्त्रीलिंग तथा नपुंसकलिंग शब्दों के रूप सात विभक्तियों में दे चुके हैं। कोई अकारान्त शब्द स्त्रीलिंग में नहीं है । जब कोई अकारान्त शब्द स्त्रीलिंग बनता है तब उसके 'अ' का प्रायः 'आ' हो जाता है। जैसे पुल्लिंग स्त्रीलिंग उत्तमः पुरुषः उत्तमा स्त्री उत्तम पुरुष उत्तम स्त्री इनमें 'उत्तम' शब्द जो पहले वाक्य में पुल्लिंग था, वह दूसरे वाक्य में स्त्रीलिंग बना, तब उसका रूप 'उत्तमा' हो गया। इसी प्रकार सब रूप बदलते हैं। देखिए(1) पुल्लिंग - 1. श्वेतः रथः - सफ़ेद रथ ( गाड़ी) । 2. मधुरः आम्रः - मीठा आम। 3. शोभनः समयः - अच्छा समय । ( 2 ) स्त्रीलिंग - 1. श्वेता पुष्पमाला - सफेद फूलों की माला । 2. मधुरा कुण्डलिनी - मीठी जलेबी । 3. शोभना वेला - अच्छा समय। (3) नपुंसकलिंग - 1. श्वेतं पुष्पम् - सफ़ेद फूल । 2. मधुरं दुग्धम् - मीठा दूध । 3. शोभनं दृश्यम् - सुन्दर दृश्य ( नज़ारा ) । इस प्रकार तीनों लिंगों में रूप बदलते हैं । विशेषण ( गुणवाचक शब्द ) का लिंग विशेष्य (गुणवाचक शब्द ) जैसा होगा । इसी नियम के अनुसार उक्त विशेषणों के लिंग गुणी के लिंगों के अनुसार बदलते आए हैं। स्पष्ट समझने के लिए पाठकों को दुबारा देखना चाहिए कि ऊपर दिए हुए तीनों लिंगों के विशेषण, एक ही होते हुए, गुणी के लिंग भिन्न-भिन्न होने के कारण, कैसे भिन्न-भिन्न हो गए हैं। अब इस पाठ में कुछ विशेषण देते हैं विशेषण शब्द उत्तम - उत्तम । श्रेष्ठ-श्रेष्ठ, अच्छा। वर-श्रेष्ठ । पीत- पीला। रक्त-लाल । नील-नीला । अन्ध - अन्धा । वधिर - बहरा । मध्यम - बीचवाला । कनिष्ठ-कनिष्ठ, छोटा । चतुर- चतुर, समझदार । उद्यमशील - मेहनती, परिश्रमी । श्वेत- सफ़ेद । हरित - हरा । ताम्र - लाल । तरुण - जवान । कृष्ण-काला। अलस- आलसी । रुग्ण - रोगी । | 118 नीरोग - स्वस्थ । वामन - ठिगना ।
SR No.032413
Book TitleSanskrit Swayam Shikshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShripad Damodar Satvalekar
PublisherRajpal and Sons
Publication Year2010
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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