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महावीर के ध्यानासन भगवान महावीर ध्यान के लिए प्रायः एकान्त स्थान का चुनाव करते थे। वे खड़े और बैठे-दोनों अवस्थाओं में ध्यान करते थे। उनके ध्यानकाल में बैठने के मुख्य आसन थेपद्मासन, पर्यंकासन, वीरासन, गोदोहिका और उत्कुटुकासन।
भगवान की ध्यान मुद्रा अनेक ध्यानाभ्यासी व्यक्तियों को आकृष्ट करती रही है। आचार्य हेमचन्द्र ने उनकी ध्यान मुद्रा के बारे में लिखा है-'भगवन्! तुम्हारी ध्यान मुद्रा–पर्यंकशायी और शिथिलीकृत शरीर तथा नासाग्र पर टिकी हुई स्थिर आंखों में साधना का जो रहस्य है, उसकी प्रतिलिपि सबके लिए अनुकरणीय है।' वपुश्च पर्यशयं श्लथं च, दृशौ च नासा नियते स्थिरे च। न शिक्षितेयं परतीर्थनाथैः, जिनेन्द्र! मुद्रापि तवान्यदास्ताम्।।
_अयोग व्यवच्छेदिका २०
२६ दिसम्बर २००६
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