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मन की एकाग्रता मन को निश्चल करने के लिए ललाट का स्थान बहुत महत्त्वपूर्ण है। इसका ज्ञान सहस्राधिक वर्षों पहले हो चुका था। अनेक ग्रंथों में ध्यान के लिए नेत्र, श्रवण और नासिका के साथ-साथ ललाट का भी उल्लेख किया गया है। आचार्य शुभचन्द्र ने इसके प्रयोग का उल्लेख किया है-इन्द्रियों को विषयों से हटाओ। समत्व का आलंबन लो। इस स्थिति में मन को ललाट पर स्थापित करो। इस प्रकार मन को निश्चल किया जा सकता है।
निरुद्ध्य करणग्रामं समत्वमवलम्ब्य च। ललाटदेशसंलीनं विदध्यानिश्चलं मनः ।।
ज्ञानार्णव ३०.१२
१६ नवम्बर
२००६