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कलकल कलम
कलाकार
ज्ञानात्मक मन मन चैतन्य के विकास का एक स्तर है, इसलिए ज्ञानात्मक है।
चेतना पूरे शरीर (नाड़ी तंत्र) में व्याप्त है। मन का मुख्य केन्द्र मस्तिष्क है। उसका संचालन भावधारा के द्वारा होता है। शुभ भाव की अवस्था में वह शुभ बन जाता है और अशुभ भाव की अवस्था में अशुभ बन जाता है। मोह का संयोग होने पर वह अशुभ बन जाता है और उसका विलय होने पर शुभ बन जाता है।
१५ नवम्बर २००६