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इन्द्रिय
चेतना के विकास का पहला स्तर है - इन्द्रिय । इन्द्रिय
चेतना के पांच स्रोत हैं
१. स्पर्शनेन्द्रिय-इससे स्पर्श का संवेदन होता है।
२. रसनेन्द्रिय- इससे रस का संवेदन होता है।
३. घ्राणेन्द्रिय–इससे गंध का संवेदन होता है। ४. चक्षुरिन्द्रिय- इससे रूप का संवेदन होता है । ५. श्रोत्रेन्द्रिय- इससे शब्द का संवेदन होता है।
स्पर्शन - रसन-प्राण- चक्षुः श्रोत्राणि । जैन सिद्धांत दीपिका २.३५
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११ अक्टूबर
२००६
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