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शुक्लध्यान की अनुप्रेक्षा शुक्लध्यान की चार अनुप्रेक्षाएं हैं
१. अनन्तवृत्तिता अनुप्रेक्षा-संसार परम्परा का चिंतन करना।
२. विपरिणाम अनुप्रेक्षा-वस्तुओं के विविध परिणामों का चिंतन करना।
३. अशुभ अनुप्रेक्षा–पदार्थों की अशुभता का चिंतन करना।
४. अपाय अनुप्रेक्षा–दोषों का चिंतन करना।
सुक्कस्स णं झाणस्स चत्तारि अणुप्पेहाओ पण्णत्ताओ, तं जहा-अणंतवत्तियाणुप्पेहा, विप्परिणामाणुप्पेहा, असुभाणुप्पेहा, अवायाणुप्पेहा॥
ठाणं ४.७२
२७ सितम्बर २००६