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धर्म्यध्यान : अपाय विचय (३) जो मनुष्य विषय-वासना से पीड़ित है वह ज्ञान और दर्शन से दरिद्र है। वह सत्य को सरलता से समझ नहीं पाता, अतः अज्ञानी बना रहता है। वह इस लोक में व्यथा का अनुभव करता है।
अट्टे लोए परिजुण्णे, दुस्संबोहे अविजाणए।। अस्सिं लोए परिव्वए।।
आयारो १.१३,१४
१३ सितम्बर
२००६