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धर्म्यध्यान : आज्ञा विचय (१) आज्ञा विचय-आगम में निरूपित तथ्यों का चिंतन करना। धर्म्यध्यान का प्रथम ध्येय विषय है-आज्ञा विचय। इसमें प्रत्यक्षज्ञानी द्वारा प्रतिपादित सभी तत्त्व ध्याता के लिए ध्येय बन जाते हैं। ध्यान का अर्थ तत्त्व की विचारणा नहीं है। उसका अर्थ है तत्त्व का साक्षात्कार। धर्म्यध्यान करने वाले आगम में निरूपित तत्त्वों का आलम्बन लेकर उनका साक्षात्कार करने का प्रयत्न करते हैं।
८ सितम्बर २००६