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धर्म्यध्यान के लक्षण धर्म्यध्यान के चार लक्षण हैं१. आज्ञा-रुचि-प्रवचन में श्रद्धा होना। २. निसर्ग-रुचि-सहज ही सत्य में रुचि होना।
३. सूत्र-रुचि-सूत्र पढ़ने के द्वारा सत्य में श्रद्धा उत्पन्न होना।
४. अवगाढ-रुचि-विस्तृत पद्धति से सत्य में श्रद्धा होना।
धम्मस्स णं झाणस्स चत्तारि लक्खणा पण्णत्ता, तं जहाआणारुई, णिसग्गरुई, सुत्तरुई, ओगाढरुई।
ठाणं ४.६६
६ सितम्बर २००६