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रौद्रध्यान (१)
रौद्रध्यान संक्लिष्ट चित्तवृत्ति का होता है। इसके चार प्रकार हैं
१. हिंसानुबंधी - जिसमें हिंसा का अनुबंध ( सतत प्रवर्तन)
हो ।
२. मृषानुबंधी - जिसमें मृषा का अनुबंध हो ।
३. स्तेयानुबंधी - जिसमें चोरी का अनुबंध हो ।
४. संरक्षणानुबंधी - जिसमें विषय के साधनों के संरक्षण का अनुबंध हो ।
रोद्दे झाणे चउव्विहे पण्णत्ते, तं जहा
हिंसाणुबंधि, मोसाणुबंधि, तेणाणुबंधि, सारक्खणाणु- बंधि ।
ठाणं ४.६३
१ सितम्बर
२००६
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