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मातृका ध्यान (१)
नाभिकंद (आनंद केन्द्र) पर सोलह पंखुड़ियों वाले कमल की कल्पना करें। उसके प्रत्येक पत्र पर सोलह स्वरों की भ्रमण करती हुई पंक्ति का ध्यान करें।
अ आ इ ई उ ऊ ऋ ऋ लृ लृ ए ऐ ओ औ अं अः इन पर चित्त को एकाग्र करें । मातृका ध्यान का यह प्रथम चरण है।
तत्र षोडश पत्राढ्ये नाभिकन्दगतेऽम्बुजे । स्वरमालां यथापत्रं भ्रमन्तीं परिचिन्तयेत् ॥
योगशास्त्र ८. १
Jane the
६ अगस्त
२००६
२४४
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