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प्राणायाम (३) प्राणायाम का महत्त्व सापेक्ष है। इसलिए उसकी उपयोगिता पर भी सापेक्ष दृष्टि से विचार किया जाना चाहिए। आचार्य हेमचन्द्र ने कुछ योगाचार्यों के मतानुसार लिखा है कि प्राणायाम के बिना मन और श्वास को नहीं जीता जा सकता। ___प्राणायाम के विषय में आचार्य हेमचन्द्र का अपना मत यह है कि प्राणायाम से क्लान्त बना हुआ मन स्वस्थ नहीं हो सकता। उससे श्रम होता है और श्रान्त मन चंचल बन जाता है।
प्राणायामस्ततः कैश्चिद, आश्रितो ध्यानसिद्धये। शक्यो नेतरथा कर्तुं मनः-पवन निर्जयः ।। तन्नाप्नोति मनः स्वास्थ्य, प्राणायामैः कदर्थितम्। प्राणस्यायमने पीड़ा, तस्यां स्यात् चित्तविप्लवः ।।
योगशास्त्र ६.४
८ मई २००६